Wednesday 1 May 2013

मुकेश अंबानी बनाम आम आदमी- सुरक्षा किसे और कितनी?



कुछ और बच्चियों-महिलाओं के साथ बलात्कार, कुछ और मंदिरों-मस्जिदों, आम बाज़ारों, पार्कों में बम विस्फ़ोट......
....और फिर टाटा, बिड़ला, अंबानी आदि को भी ज़ेड प्लस सुरक्षा कवच.....

मुकेश अंबानी कहते हैं कि वो सुरक्षा का खर्च खुद उठाएंगे.....
हां भई क्यों नहीं! आखिर देश के सबसे अमीर शख़्स हैं....
औऱ हमारी सरकार भी इन लोगों पर मेहरबान जो रहती हैं.....
आम आदमी के मुकाबले टैक्स जो कम देना पड़ता है...
अरे अब ये देश में इतना निवेश जो करते हैं,,,छूट तो मिलनी ही चाहिए...
और ये तो बड़े आदमी हैं....सरकार जैसी अदनी सी व्यवस्था का एहसान भला कैसे ले सकते हैं.....इसलिए अपनी सुरक्षा का खर्च खुद उठाएंगे....

लेकिन कोई इन्हें ये बताए कि सरकार ने अपने उन जवानों पर इसलिए पैसा निवेश नहीं किया कि उन्हें बाज़ार में 'अच्छा रिटर्न' प्राप्त करने के लिए इन जैसे शाही लोगों के सामने बतौर नुमाइश रखा जाए.....
और ये कोई सरकार के खुद के पैसे नहीं हैं जो इन जवानों को प्रशिक्षित करने में लगते हैं......ये आम आदनी का धन है, जिसे वो इस उम्मीद के साथ सरकार को देता है कि कुछ सुरक्षा उसे भी मिले...लेकिन हमारी सरकार तो इनके निवेश की ग़ुलाम है....

इन्हें सुरक्षा इसलिए दी जा रही है, क्योंकि भारत से 'बेइंतिहां प्यार' करने वाले संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन से इन्हें धमकियां मिलने की खबर है.......

लेकिन उस आम व्यक्ति का क्या जो कभी भी बिना किसी पूर्व धमकी के इस जैसे संगठनों का शिकार हो जाता है......
ये तो बहुत ऊपर की बात है.....
उन धमकियों का क्या-
-जो आम व्यक्तियों को रोज़ कभी किसी मामले में गवाही देने से रोके जाने के लिए दी जाती है?
-जो कभी किसी दबंग या खुद किसी पुलिसवाले से मिलती है, शिकायत दर्ज़ कराने से रोकने के लिेए?

ज़ेड प्लस तो छोड़िए...ये बताईये कि क्या कभी इन आम नागरिकों को साधारण सी भी सुरक्षा मिलेगी?
और अगर मिलेगी..
...तो कौन होगा सुरक्षा में? ये रोज़ रोज़ धमकाने वाले पुलिस वाले या करोड़ों रुपये की ट्रेनिंग लेने वाले कमांडो?

और सबसे बड़ा सवाल...
क्या सरकार ही इनकी सुरक्षा का खर्चा उठाएगी
या
खुद आम नागरिकों को इसके लिए भी अलग से और ज़्यादा टैक्स देना पड़ेगा ?


(इस पोस्ट में इस्तेमाल किये गए कार्टूनों के लिए कार्टूनिस्टों और गूगल का आभार......)

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