Friday 31 December 2010

आखिरी सलाम.....2010

............. और इस तरह आज २१वी सदी का पहला दशक समाप्त हो जायेगा। इस पूरे दशक में हमने बहुत कुछ पाया और बहुत कुछ खोया। मैं यहाँ उन सब बातों का ज़िक्र नहीं करने जा रहा हूँ, क्यूंकि इस में बहुत समय लग जायेगा। मुझे इस बात कि ख़ुशी है कि हमारे देश ने इस दौरान बहुत तरक्की की। लेकिन भ्रष्टाचार ने हर बार की तरह इस दशक म भी अपना जाल फैलाये रखा। विशेषकर इस साल के अंत में जितनी भी भ्रष्टाचार की ख़बरें आयी उन्होंने निश्चित रूप से देश के लिए इस दशक का अंत ज़रूर निराशाजनक किया।
लेकिन अब हम्हे खुद इन सबके खिलाफ आवाज़ उठानी पड़ेगी, तभी कुछ होगा।
अंत में सभी को नव वर्ष २०११ की हार्दिक बधाइयाँ।

Friday 23 July 2010

नैतिकता को ताक पर रखने वाले "माननीय"........

कुछ दिनों पहले बिहार विधान सभा में जो भी दृश्य दिखे, बहुत ही शर्मनाक थे। सबसे बड़े लोकतंत्र का दंभ भरने वाले देश में ही लोकतंत्र कि धज्जियाँ उड़ते हुए पुरे देश ने देखा। शायद विदेशों में भी इसका प्रसारण हुआ होगा। हालाँकि अब कभी-कभी ऐसा लगता है कि यह कोई बड़ी घटना नहीं है, क्योंकि यह लगभग आम बात हो गयी है। कभी बिहार तो कभी कर्नाटक, तो कभी जम्मू एवं कश्मीर की विधान सभाओं में भी ऐसे दृश्य दिख चुके हैं।

अभी कुछ माह पूर्व ही महाराष्ट्र विधान सभा का वह दृश्य भला कौन भूला होगा जब समाजवादी पार्टी के विधायक श्री अबू आज़मी साथ शिवसेना एवं मनसे के विधायकों ने दुर्व्यवहार किया था। मनसे एवं शिवसेना के विधायकों ने श्री आज़मी द्वारा विधान सभा में हिंदी में शपथ लेने पर धक्का-मुक्की की थी। दूसरी तरफ विगत वर्ष जम्मू एवं कश्मीर विधान सभा में विपक्ष की नेता मेहबूबा मुफ्ती ने सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस के विधायकों के साथ असभ्य व्यव्हार किया था। उन्होंने कुछ आवश्यक दस्तावेजों को फाड़ कर फेंक दिया था।

इतना ही नहीं विगत १४वी लोकसभा में एक सत्र के दौरान तृणमूल कांग्रेस की सांसद ममता बनर्जी ने भी कुछ आवश्यक दस्तावेजों का पुलिंदा तत्कालीन अध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी पर फेंके थे। आज ऐसे ही कई दृश्य देश की अलग-अलग विधान सभाओं में समय-समय पर देखने को मिल जाते हैं।

इन सब से एक बात स्पष्ट है, आज देश के तथाकथित "सम्मानित नेतागण" अपने नैतिक मूल्य लगभग भूल ही गए हैं। निश्चित ही यह शर्मनाक बात है विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए।

Sunday 11 July 2010

नया विश्व विजेता........स्पेन.

फुटबाल विश्व कप २०१० के कल रात खेले गए निर्णायक मुकाबले में स्पेन को विश्व विजेता बनने पर स्पेन को हार्दिक बधाई। निश्चित रूप से स्पेन इस जीत के योग्य था। इसका यह अर्थ नहीं है कि होलैंड की टीम इस जीत के लायक नहीं थी लेकिन जिस तरह से स्पेन ने विश्व कप का अपना पहला ही मैच हारने के बाद जो शानदार वापसी की वह तारीफके काबिल है। स्पेन के खिलाडियों ने बेहतरीन टीम खेल का प्रदर्शन किया।
हालाँकि इस विश्व कप के दौरान जर्मनी के पॉल नामक ऑक्टोपस की भविष्यवाणियाँ भी चर्चा में रही, जो प्रत्येक मैच में सटीक रही। फ़ाइनल में भी उसकी भविष्यवाणी सही साबित हुई। फिर भी हम इसके कारण स्पेन के खिलाडियों से श्रेय नहीं छीन सकते। आखिर फुटबाल की दुनिया में एक नयी शक्ति का उदय हुआ है।
एक बार फिर स्पेन को हार्दिक बधाई।
इसके अतिरिक्त दक्षिण अफ्रीका को भी इस भव्य आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई।
इस उम्मीद के साथ कि २०१४ में ब्राज़ील में होने वाला विश्व कप और भी अच्छे परिणाम लाये तथा भारतीय टीम भी उस कप में खेले, "अलविदा दक्षिण अफ्रीका".

Friday 9 July 2010

मेरा प्रथम सन्देश........

आज का दिन मेरे लिए बहुत ही खास है। आज से मैं भी ब्लॉग्गिंग कर सकूँगा। मेरा प्रयास रहेगा कि मैं अपने विचारों को भली प्रकार रख सकूं। मुझे आशा है कि मेरे इस प्रयास का सार्थक परिणाम रहेगा.