Tuesday 12 July 2011

सज़ा या भेंट


आज सुबह जब मैं बस से नोएडा ऑफिस आ रहा था, तो डीएनडी फ्लाई-वे पर यमुना पर बने पुल के ऊपर से गुजरते हुए मैंने एक शख़्स को देखा। इस तथाकथित भद्र पुरुष ने अपनी कार पुल में ही किनारे खङी की और अपनी अंध-श्रद्धा के नाम पर पूजा की राख आदि उङेल दी यमुना मैया में। यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगा। मैं यही सोच रहा था कि यही वे लोग हैं जो ख़ुद को सभ्य और समझदार कहने का दंभ भरते हैं, परंतु अंध-भक्ति के द्वारा उस शख्स ने यह साबित कर दिया कि उसके अन्दर व्यावहारिक ज्ञान एवं समझदारी का नितांत अभाव है।
ये बात जब मैंने ऑफिस में अपने दोस्त अनुज को बतायी तो उसने एक बहुत ही बेहतरीन सुझाव दिया। उसने कहा क् मुझे पांच रुपये का एक सिक्का उस व्यक्ति पर फेंकना चाह्ए था। अगर वह सिक्का उस पर लग जाता तो अच्छा, क्योंकि उसा उसके किये की सजा मिल जाती। अगर नहीं लगता तो भी अच्छा, क्योंकि फिर वह सिक्का मैया को भेंट के रूप में चढ़ जाता...............