Friday 15 June 2018

आया मौसम, फुटबॉल का...


आया मौसम फुटबॉल का...

मौसम ने चाहे कितना भी परेशान कर लिया हो, लेकिन अगले एक महीने तक करोड़ों लोगों को सिर्फ इस बात की फ़िक्र होगी, कि जीतेगा कौन? क्योंकि शुरू हो चुका है फुटबॉल विश्व कप। दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल और इस खेल की सबसे बड़ी प्रतियोगिता- विश्व कप। दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाला खेल है फुटबॉल विश्व कप। इस बार विश्व कप का मेज़बान रूस है।


रुस और सउदी अरब के बीच पहले मैच के साथ 32 दिन और 64 मैच के इस सिलसिले का आगाज़ हुआ। हर बार की तरह नज़र आएगी आकर्षक ड्रिबलिंग, गोलकीपर के हैरतंगेज़ सेव, गोललाइन पर डिफेंडर्स के ज़बरदस्त टैकल और इंजरी टाइम या एक्सट्रा टाइम में मैच पलट देने वाले रोमांचक गोल, यानि वो सब जो इस खेल को सबसे ख़ूबसूरत खेल बनाता है। इतना ही नहीं, इनके अलावा होंगे स्टेडियम के अंदर और स्टेडियम के बाहर, बार और क्लब में, घरों के अंदर टीवी के सामने बैठे फैन्स की वो लहर और हुंकार, जिसके कारण फुटबॉल दुनिया भर में लोकप्रिय है।

आमतौर पर ब्राज़ील, जर्मनी, अर्जेंटाइना, स्पेन, फ्रांस, इटली और हॉलैंड ही सबसे बड़े फेवरिट रहते हैं। हालांकि 4 बार की चैंपियन इटली और तीन बार की उपविजेता नीदरलैंड्स जैसी मज़बूत टीमें इस बार क्वालिफाई भी नहीं कर पाई। इस बार भी स्थिति कुछ खास बदली नहीं है.

ब्राज़ील-
जिन देशों में फुटबॉल थोड़ा ही लोकप्रिय है, वहां भी ब्राज़ील, पेले, रोनाल्डो और अब नेमार का नाम जानने और पसंद करने वाले मिल ही जाएंगे। दुनिया की इकलौती ऐसी टीम जिसने अभी तक सभी विश्व कप में हिस्सा लिया है और सबसे ज़्यादा 5 बार जीता भी है। फुटबॉल को एक से एक नगीने इस ज़मीन ने दिए हैं। इसलिए ब्राज़ील हर विश्व कप की सबसे फेवरिट टीम होती है। हालांकि 2002 में आख़िरी बार चैंपियन बनने के बाद अगले 3 विश्व कप में ब्राज़ील का प्रदर्शन उम्मीद के अनुसार नहीं रहा।

अपनी जमीन पर 2014 में खेले गए इवेंट में सेमीफाइनल में पहुंचे ज़रूर थे, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में वो ब्राज़ीलियन स्टाइल और फ्लेवर नहीं दिखा जो पुरानी टीमों में होता था। इसका असर सेमीफाइनल में हुई 1-7 की हार में नज़र आया।

नेमार जूनियर
इसकी मुख्य वजह थी टीम की युवा खिलाड़ी नेमार जूनियर पर अति-निर्भरता। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। नेमार अभी भी टीम के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं और टीम की सफलता में उनका किरदार अहम होगा। लेकिन अब टीम में गैब्रिएल हेसुस, फिलिप कुटिन्हियो, विलियन, रॉबर्टो फर्मिनियो, जैसे उच्च स्तर के अटैकर कैसेमिरो, ऐलिसन जैसे सुपर टैलेन्टेड प्लेयर्स हैं। वहीं थियागो सिल्वा, मार्सेलो, फर्नान्डिन्हियो और फिलिपे लुई जैसे अनुभवी और परिपक्व खिलाड़ी भी हैं।
फिलिप कुटिन्हियो

तेज़ी, करिश्माई स्किल्स और बेहतरीन तालमेल... ब्राज़ील की टैलेंट से भरी इस टीम को विश्व कप का सबसे बड़ा दावेदार बनाता है। कुल मिलाकर दुनिया की सबसे संतुलित टीम इस ब्राजीलियन टीम को कहा जा सकता है। क्वालिफाईंग दौर में विपक्षियों को रौंदने के बाद हाल ही में हुए वार्म-अप फ्रेंडली मैचों में ब्राज़ील ने बिना कोई कोताही के अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। इसलिए दुनिया भर में सबसे ज़्यादा उम्मीदें इस टीम से ही लगी होंगी।

जर्मनी-
5 बार के चैंपियन ब्राज़ील के वर्चस्व को चुनौती देने का काम इस टीम ने ही किया है। सबसे ज्यादा 8 बार फाइनल में पहुंचने वाली जर्मनी की टीम ने 4 बार खिताब भी जीता है। 2014 की चैंपियन इस टीम की सबसे बड़ी ताकत टीम के कोच जोएकिम लोउ हैं, जिन्होंने इस टीम को एक संगठित और मजबूत इकाई में तब्दील किया है।

2014 विश्व कप की विजेता जर्मन टीम
दुनिया भर में व्यक्तिगत क्षमता के तौर पर भले ही क्रिस्टियानो रोनाल्डो, लायोनेल मेसी, नेमार, एंटोएन ग्रीज़मेन, हैरी केन जैसे खिलाड़ियों को सर्वश्रेष्ठ माना जाता हो, लेकिन जब एक सुदृढ़ टीम की बात आती है तो उसमें सबसे पहले जर्मनी का नाम आता है। कोई एक खिलाड़ी सूरमा नहीं, बल्कि पिच पर मौजूद सभी 11 खिलाड़ी एक बराबर क्षमता से भरपूर हैं। अटैक के वक्त पूरी टीम एक वूल्फ पैक की तरह विपक्षी पर टूट पड़ते हैं और जब डिफेंड करना हो तो मिडफील्ड से लेकर गोलपोस्ट तक एक मज़बूत चट्टान बन जाते हैं।

जर्मनीः एक संतुलित और संगठित टीम
टीम में मेसुत ओज़िल जैसे अनुभवी और बेहतरीन क्रिएटिव मिडफील्डर हैं, तो साथ में हैं थॉमस मुलर जैसे शानदार गोलस्कोरर, जो मिडफील्ड में जितने मज़बूत हैं, उतने ही धारदार गोल स्कोरर भी हैं। सिर्फ 2 विश्व कप में ही मुलर के 10 गोल हैं, जितने इस दौर के दो सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर्स क्रिस्टियानो और मेसी के 3 विश्व कप में मिलाकर भी नहीं हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, जर्मनी के पास हैं, टोनी क्रूस और सैमी खेडीरा जैसे सेट्रंल मिडफील्डर, जो किसी भी टीम को अपने इंच-पर्फेक्ट पास से भेद सकते हैं, तो कड़ी मार्किंग से विपक्षी अटैक को बांध भी सकते हैं।

इसी तरह टीम की लोहे की ढाल हैं मैट्स हमल्स, जेरोम बोएटैंग. सेंटर बैक्स इस जोड़ी ने ही पिछले विश्व कप में जर्मनी की जीत में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गोल पोस्ट को पिछले विश्व कप में अभेद्य बनाने वाले कीपर मैनुएल नॉयर इस बार भी नंबर 1 हैं और कप्तान भी। नॉयर जितना ही मजबूत विकल्प टीम के पास सेकेंड कीपर मार्क आंद्रे टर स्टगेन के तौर पर है। दुनिया के दो सबसे बेहतरीन गोलकीपर।

स्पेन-
क्वालिफाईंग दौर में एक भी मैच नहीं हारने वाली ये टीम कप की सबसे मजबूत टीम में से है। टीम में जहां 2010 की विश्व विजेता टीम के कई खिलाड़ी बतौर सीनियर मौजूद हैं, तो यूरोप की अलग-अलग लीग में चैंपियन बनी टीमों की कई युवा प्रतिभाएं हैं। 2010 में चैंपियन बनने के बाद 2014 में स्पेन पहले दौर में ही बाहर हो गई थी।

टीम के पास डिएगो कॉस्टा, जैसे बेहतरीन स्ट्राईकर है, तो वहीं टीम की जान उसका मिडफील्ड है। यहां टीम के पास दुनिया के सर्वकालीन महान मिडफील्डरों में से एक आंद्रे इनिएस्टा हैं। वही इनिएस्टा, जिसने 2010 में फाइनल में विजयी गोल दागा था। साथ में हैं जादुई डेविड सिल्वा। सिल्वा ने हाल ही में मैनचेस्टर सिटी को प्रीमियर लीग जिताने में बड़ी भूमिका निभाई थी। उनके साथ हैं सर्जियो बुस्केट्स, जो किसी भी अटैक को रोकने के साथ ही टीम के लिए कई मौकों पर अटैक की शुरुआत करते हैं। रियाल मेड्रिड के जोशीले युवा इस्को और मार्को असेंसियो जैसे तकीनीकी रूप से कुशल अटैकिंग मिडफील्डर भी हैं।
स्पेन के स्ट्राइकर डिएगो कॉस्टा और डेविड सिल्वा

जितना मज़बूत मिडफील्ड उतना ही मज़बूत डिफेंस। सर्जियो रामोस औऱ जेरार्ड पिक्के जैसे दो सबसे जानदार, अनुभवी और चैंपियन सेंटर बैक हैं। क्लब लेवल पर दो सबसे कट्टर विरोधी टीम के लिए खेलने के बावजूद दोनों ने राष्ट्रीय टीम में कोई कसर नहीं छोड़ी। गोलपोस्ट पर टीम की दीवार हैं दुनिया के टॉप 3 गोलकीपर में से एक- डेविड डि हेया। प्रीमियर लीग में इस कीपर के पार बॉल निकालना सबसे मुश्किल काम साबित हुआ है। स्पेन को डि हेया से 2010 के इकेर कैसियस जैसे प्रदर्शन की उम्मीद होगी। अगर वो सफल हुए तो इस स्पेनिश टीम को जीतने से रोकना सबसे कठिन काम होगा।

फ्रांस-
1998 में चैंपियन और 2006 में उप-विजेता। बीते 3 दशक में फ्रांस का विश्व कप में यही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कभी औसत तो कभी निम्न स्तर का रहा है। लेकिन इस बार की फ्रांस की टीम पर न सिर्फ इसे पलटने की ज़िम्मेदारी है, बल्कि उनसे उम्मीदें और उनकी संभावनाएं उससे भी ज्यादा हैं। यूरोप की टॉप 5 लीग की चैंपियन टीमों में एक न एक खिलाड़ी फ्रांस का ज़रूर है। फ्रांस की वर्तमान टीम और इस देश की युवा पौध ने दुनिया के बड़े बड़े क्लब और टीमों को हैरान कर दिया है।

टीम की ताकत इसका अटैक ही है। एंटोएन ग्रीज़मैन अटैक को लीड करते हैं, जबकि ओलिवियर जिरू और 19 साल की युवा सनसनी कीलियन एमबाप्पे उस अटैक को पैना बनाते हैं। जहां ग्रीज़मैन एटलेटिको के सबसे बड़े स्टार हैं, वहीं एमबाप्पे ने कवानी और नेमार की मौजूदगी के बावजूद अपनी बेहतरीन छाप पीएसजी के लिए छोड़ी है। मिडफील्ड को मज़बूती देने के लिए प्रीमियर लीग के दो बड़े नाम- पॉल पोग्बा और एनगोलो कांटे हैं। युवेंटस के अनुभवी मिडफील्डर ब्लैस मैटुइडी इस मिडफील्ड को पूरा करते हैं।

ग्रीजमैन और एमबाप्पे पर है फ्रांस की उम्मीदें
सिर्फ यही नहीं, बल्कि नबील फकीर, ओसुमान डेम्बेली, थॉमस लेमार जैसे युवा और प्रतिभावान अटैकर भी विपक्षी टीमों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकते हैं।

प्रतिभा से भरी इस टीम की बड़ी कमज़ोरी इसका डिफेंस है। हालांकि टीम के पास बार्सिलोना के अमटिटी और रियाल मैड्रिड के वारेएन जैसे मजबूत सेंटर बैक हैं, और बेंजामिन मैंडी के तौर पर सशक्त डिफेंडर हैं। गोलकीपर-कप्तान ह्यूगो लॉरिस ने इंग्लिश क्लब स्पर्स के लिए पिछले कुछ सीजन में शानदार कीपिंग की है और इसलिए उनको यूरोप के शीर्ष 10 गोलकीपरों में गिना जाता है. लेकिन पिछले सीज़न में लॉरिस ने कई ऐसी गलतियां कीं, जिनके कारण टीम को गोल खाना पड़ा। बैकअप गोलकीपर एरेओला कम अनुभवी और कम भरोसेमंद हैं।

फिर भी टीम सिर्फ अपने बेहतरीन अटैक के दम पर टूर्नामेंट में अपनी दावेदारी ठोक सकती है।

अर्जेंटाइना-
दक्षिण अमेरिका में फुटबॉल का दूसरा बड़ा पावर हाउस। चैंपियन का खिताब 2 बार। इसके बावजूद विश्व कप के लिए क्वालिफाई करना भी मुश्किल हो गया था। क्वालीफायर्स में अपने आखिरी मैच में जीत दर्ज कर किसी तरह जगह बनाई। इसकी वजह सिर्फ एक खिलाड़ी- लायोनेल मेसी। आखिरी क्वालिफायर में मेसी की हैट्रिक के कारण ही अर्जेंटाइना इस विश्व कप में खेल रहा है। इसके बावजूद भी इस टीम को दावेदारी में कम नहीं आंका जा सकता।

ये सही है कि अर्जेंटाइना मेसी पर हद से ज्यादा निर्भर है। उसकी वजह भी साफ है। मेसी सदियों में एक बार पैदा होने वाले खिलाड़ी हैं, जो अकेले दम पर मैच जिताने का माद्दा रखते हैं। पिछले विश्व कप में भी मेसी ने अर्जेंटाइना को अपने दम पर फाइनल तक पहुंचाया था। फिर भी अर्जेंटाइना चैंपियन बनने में असफल रहा।

मेसीः अर्जेंटाइना के रक्षक; डाइबाला और ओट्टामेंडी
क्वालिफायर्स में अर्जेंटाइना की जो स्थिति थी उससे तो अभी भी यही लग रहा है कि मेसी को ही इस टीम को खींचना पड़ेगा। फिर भी, इस बार इस टीम के पास बेहतरीन अटैकिंग फोर्स है। मेसी के अलावा अनुभवी सर्जियो अगुएरो सबसे खास हैं। प्रीमियर लीग में मैनचेस्टर सिटी के लिए अगुएरो पिछले कई सीजन से खुद को साबित करते आ रहे हैं। इस बार अगुएरो ही टीम की पहली पसंदे के स्ट्राइकर होंगे, इसमें कोई शक नहीं लगता।

युवेंटस के युवा फॉरवर्ड पाउलो डाइबाला से टीम को बहुत उम्मीदें होंगी। डाइबाला ने इटैलियन लीग में पिछले 2 सीजन में शानदार प्रदर्शन किया है और युवेंटस की लगातार लीग टाइटल जीतने में बड़ा रोल निभाया है। वहीं अनुभवी एन्हेल डि मारिया पर भी अटैकिंग मिडफील्डर के तौर पर जिम्मेदारी बड़ी रहेगी। डि मारिया अपनी तेजी, ड्रिबलिंग और सटीक क्रॉस से डिफेंडर्स के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकते हैं।

अर्जेंटाइना की दिक्कत भी डिफेंस में है। हालांकि टीम के पास मैसेरैन्हो और ओट्टामेंडी जैकससे क्वालिटी डिफेंडर्स हैं। ओट्टामेंडी इस वक्त दुनिया के टॉप डिफेंडर्स में से हैं। वहीं उम्रदराज मैसेरैन्हो का अनुभव टीम के लिए खास होगा। वो कितना खेल पाएंगे ये एक अलग विषय है। इनके अलावा रोमा के लिए खेलने वाले फाजियो हैं. फिर भी टीम डिफेंस में ज्यादा मजबूत नहीं दिखती। लेकिन याद रहे, इस टीम के पास है- लायोनेल मेसी।

बेल्जियम- टूर्नामेंट का डार्क हॉर्स!
फीफा रैंकिंग में तीसरे नंबर की टीम है बेल्जियम। वर्तमान में दुनिया के कुछ सबसे बड़ी प्रतिभाएं इस टीम में हैं। इसके बावजूद सिर्फ डार्क हॉर्स क्यों? विश्व कप जीतने के लिए सिर्फ टैलेन्टेड खिलाडियों का होना काफी नहीं है। जरूरत है तो रणनीति और खिलाड़ियों के बीच तालमेल की। इसलिए अगर बेल्जियम विश्व कप की सबसे बड़ी टीम साबित हो जाए तो इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।

इस टीम के पास वो सारे हथियार हैं जो इस द्वंद में काम आने वाले हैं। अपने गोल पोस्ट के बीच तैनात रक्षक से लेकर विरोधी के घर में घुसकर शिकार करने वाला चालाक शिकारी इस टीम में हैं। टीम के बारे किसी भी चर्चा की शुरुआत इसके कप्तान विंसेंट कोम्पनी से की जानी चाहिए. एक सच्चा लीडर। प्रीमियर लीग में अपने नेतृत्व से मैनचेस्टर सिटी को ख़िताब दिलाने वाला ये सेनापति टीम के अलावा रक्षापंक्ति का नेतृत्व भी करेगा।

बेल्जियम की ताकत- ईडन हेज़ार्ड और लुकाकू
गोलकीपर थिबॉ कोर्टुआ पहले ही दुनिया को अपने बेहतरीन सेव्स से प्रभावित कर चुके हैं। चेल्सी के इस कीपर ने अपने क्वालिटी कीपिंग से प्रीमियर लीग जीतने में बड़ा रोल निभाया। वहीं डिफेंस में कोम्पनी के अलावा जैन वर्टोनहैन का अनुभव है। साथ में हैं टोबी ऑल्डरवाइड, वेरमैलन औऱ म्यूनियर जैसे कमाल के डिफेंडर। इनसे पार पाना किसी भी अटैक के लिए टेढी खीर साबित होगा।

जितना शानदार डिफेंस उतना ही बेहतरीन मिडफील्ड। इस वक्त यूरोप में संभवतः सबसे बेहतरीन सेंट्रल मिडफील्डर केविन डि ब्रुयना (केडीबी) हैं। केडीबी के पर्फेक्ट लंबे पास हों या स्ट्राइकर के सामने गिरने वाले पिन पॉइंट क्रॉस हों या सिल्की थ्रू बॉल्स, इन सबका गवाह कम से कम यूरोप तो बन ही चुका है। दुनिया के सामने भी ये दिखेगा, इसमे कोई दोराय नहीं। बेल्जियम की जीत बिना केडीबी के असिस्ट्स के संभव ही नहीं।

अब बात फॉरवर्ड लाइन की। जितना लिखा जाए उतना कम है। रोमेलु लुकाकू जैसा स्ट्राइकर टीम के पास है, जिसकी एरियल प्रेजेंस भी उतनी ही मजबूत है, जितना लुकाकू के बांये पैर का शॉट। लेकिन फॉरवर्ड लाइन के स्टार हैं विंगर इडेन हेजार्ड। स्पीड, ड्रिबलिंग, स्किल्स और क्लीन स्ट्राईक। हेजार्ड का सामना करने के लिए डिफेंडर्स को एक सेकेंड के लिए भी सांस लेना मुश्किल हो सकता है। इसलिए चुस्त रहना जरूरी है। हेजार्ड इस वक्त फॉर्म में हैं और लुकाकू के साथ उनका तालमेल बेल्जियम को मंजिल तक पहुंचाने में अहम साबित होगा।

इतनी क्वालिटी टीम का ग्रुप स्टेज से आगे बढना कोई मुश्किल काम नहीं। बल्कि ऐसी टीम का आगे बढते रहना टूर्नामेंट में हैरतंगेज़ फुटबॉल की कई मिसाल पेश कर सकता है।

अंडर डॉग- क्रोएशिया कर सकता है उलटफेर!
दुनिया में बहुत ही कम ऐसे लोग होंगे जिनको क्रोएशिया में विश्व कप जीतने की क्षमता लगती हो। लेकिन ये टीम बड़ी टीमों को चौंका सकती है। इसके लिए टीम की ताकत इसका मिडफील्ड का चलना ज़रूरी है। टीम के पास यूरोप के सबसे कलात्मक मिडफील्डर है, रियाल मैड्रिड के लुका मॉड्रिच। मैड्रिड के साथ लगातार 3 चैंपियंस लीग जीत चुके इस स्टार प्लेमेकर ने अपने क्लब और नेशनल टीम के लिए अक्सर आला दर्ज़े का प्रदर्शन ही दिखाया है।

लुका मॉड्रिच
क्रोएशिया को आगे बढने में मॉड्रिच का खास किरदार होगा. मॉड्रिच का साथ देने के लिए बार्सिलोना के एक और शानदार मिडफील्डर हैं- इवान रैकिटिच। बार्सिलोना में इस सीज़न उन्हें पर्याप्त मौका मिला है और उसमें रैकिटिच ने अपने अच्छे विज़न के जरिए टीम में जगह पक्की की। मैड्रिड में मॉड्रिच के साथी मैटियो कोवासिच भी हैं, जो होल्डिंग मिडफील्ड या सेंट्रल मिडफील्ड में अच्छी भूमिका निभाते हैं।

टीम की फॉरवर्ड लाइन में युवेंटस के मारियो मांड्ज़ुकिच खास होंगे। अगर मिडफील्ड की अच्छी सप्लाई का चालाकी से फायदा उठाने में मांड्ज़ुकिच कामयाब होते हैं, तो ये क्रोएशिया को रोकना मुश्किल हो सकता है। वहीं विंगर इवान पेरिसिच भी स्ट्राइकर मांड्ज़ुकिच के साथ मिलकर डिफेंस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

बाकी टीमों का क्या?
इंग्लैंड के कप्तान हैरी केन
विश्व कप की अन्य टीमों में क्रिस्टियानो रोनाल्डो के नेतृत्व वाली पुर्तगाल एक खतरनाक टीम साबित हो सकती है। लेकिन टीम की दिक्कत रोनाल्डो के अलावा किसी और बड़े मैच वाला खिलाड़ी नहीं होना है। यूरो कप जीतने वाली पुर्तगाल के लिए विश्व कप मुश्किल चुनौती होगा.

वहीं हैरी केन, रहीम स्टर्लिंग, जेमी वार्डी जैसे अच्छे अटैक वाली इंग्लैंड की टीम भी बड़ी चुनौती पेश कर पाएगी, इसमें तमाम विशेषज्ञों से लेकर फैन्स को भी शक है।

इनके अलावा उरुग्वे, कोलंबिया, पोलैंड, डेनमार्क जैसी कुछ टीमें हैं, जिनमें यूरोप की बेहतरीन टीमों के कुछ उच्च कोटि के खिलाड़ी हैं, लेकिन इन वन मैन आर्मी को विश्व कप जीतने के लिए किसी चमत्कार की ही जरूरत पड़ेगी।



(सभी फोटो- Twitter @FIFAWorldCup)