FIFA U-17 World Cup
India vs USA (0-3)
जैसी उम्मीद थी, बिल्कुल
वैसे ही शुरुआत हुई भारत की अंडर-17 फ़ुटबॉल विश्व कप में। पहली बार भारत में
फ़ीफ़ा का कोई इवेंट हो रहा है। यानि भारत में पहली बार किसी वैश्विक स्तर के
फ़ुटब़ॉल टूर्नामेंट का आयोजन हो रहा है। लेकिन इससे भी बड़ी बात है कि भारत
फ़ुटबॉल के किसी भी स्तर पर विश्व कप में शामिल हो रहा है। भारत में फ़ुटबॉल का
स्तर और इसे लेकर लोगों की रुचि बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए ये टूर्नामेंट इस
लिहाज़ से ख़ास है।
टूर्नामेंट के पहले ही
दिन भारत का मुकाबला अमेरिका की टीम से था। उम्मीद थी कि पहले मैच के लिए बेहतरीन
माहौल जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में होगा, और ऐसा हुआ भी। ख़ुद प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी स्टेडियम में पहुंचकर दोनों टीमों से मिले और देर तक मैच भी देखा।
दूसरी बात, चूंकि भारतीय टीम ने इससे पहले ऐसे अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट नहीं
खेले थे, सिवाय बीते कुछ महीनों में ट्रेनिंग टूर के, जहां कई अच्छी टीमों के साथ
मैच खेले, इसलिए अगर ईमानदारी से कहा जाए, तो भारतीय टीम से ज़्यादा उम्मीद भी
नहीं थी। जीत की तो बिल्कुल भी नहीं। हुआ भी कुछ यूं ही।
Went to the 2017 FIFA U-17 World Cup match in Delhi. #FIFAU17WC @FIFAcom. https://t.co/aweqaz3nzG pic.twitter.com/J85r6rt5BO— Narendra Modi (@narendramodi) October 6, 2017
Honoring the legends of @IndianFootball w/PM @narendramodi ji: PK Banerjee, Sunil Chhetri, Bembem Devi, IM Vijayan, @bhaichung15 & others. pic.twitter.com/ajUmJPVuMs— Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) October 6, 2017
मैच रिपोर्ट
लेकिन इन युवा
खिलाड़ियों ने उम्मीद से कई बेहतर प्रदर्शन किया। शुरू से ही अमेरिका की मैच पर
पकड़ रही। बॉल पज़ेशन से लेकर भारतीय टीम के पेनल्टी एरिया तक। अमेरिका के फॉरवर्ड
और मिडफील्डर्स ने अच्छे मौके बनाए गोल करने के, लेकिन गोलकीपर धीरज सिंह ने भी
शुरू से ही बेहतरीन रिफ़लेक्शन और समझ दिखाई और गोल के मौके नहीं दिए। डिफेंडर्स
हालांकि अमेरिका की फॉरवर्ड लाइन की तेज़ी और स्किल के सामने अक्सर बिखरे हुए
दिखे। फिर भी पहले आधे घंटे तक गोल नहीं होने दिया।
लेकिन 30वें मिनट में
अमेरिका को पहला सबसे अच्छा मौका मिला पेनल्टी के रूप में। जितेंद्र सिंह ने
अमेरिकी कप्तान सार्जेंट को रोकने की कोशिश की लेकिन बॉक्स के अंदर सार्जेंट की
शर्ट खींचकर उन्हें गिरा दिया। पहले से ही भारतीय टीम नर्वस तो लग ही रही थी लेकिन
पेनल्टी का मौका देने की उदासी और डर जितेंद्र के चेहरे पर साफ़ दिख रहा था। आखिर
इतने देर तक रोके रखने के बाद ये गलती ही टीम पर भारी पड़ी. सार्जेंट ने बेहद
आसानी से अनुभवी खिलाड़ी की तरह गोलपोस्ट को बिल्कुल दाहिने कोने पर भेद दिया।
धीरज के लिए इसमें करने के कुछ भी नहीं था।
पहले झटके के बावजूद लेफ्ट
विंग पर कोमल और सेंटर फॉरवर्ड पर अनिकेत ने कुछ अच्छे ड्रिबल्स के साथ मौके बनाए,
लेकिन कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला। पहले हाफ़ में 0-1 के स्कोर पर ख़त्म हुआ।
दूसरे हाफ़ में ज़्यादा
बैलेंस फ़ुटबॉल दिखा। दोनों ओर से लगातार अटैक चला। सेकेंड हाफ के 6ठें मिनट में
ही अमेरिका को मिले क़ॉर्नर पर भारतीय टीम बॉक्स में कुछ कंफ्यूज़ दिखी और डर्किन
का शॉट दो खिलाड़ियों से डिफ्लेक्ट होकर गोल में चला गया। धीरज के पास कोई मौका
नहीं था और अमेरिका की बढत 0-2 हो गई। अमेरिका के लिए आख़िरी गोल कार्लटन ने
बेहतरीन काउंटर अटैक के ज़रिए किया और भारत विश्व कप में अपना पहला ही मैच 0-3 से
हार गया।
You played with grit, spirit & determination, @IndianFootball. You may not have won the match,but you certainly won our hearts! #BackTheBlue https://t.co/EiTXc2XDP4— Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) October 6, 2017
Hard luck boys!— Praful Patel (@praful_patel) October 6, 2017
Played with great determination & energy. There is always the next match.India still believes!#FightOn #FIFAU17WC #INDvUSA https://t.co/zIH0awz2CX
भारतीय टीम का प्रदर्शन
पहले भी ये बात लिखी जा
चुकी है कि टीम से जीत की उम्मीद तो नहीं थी क्योंकि अमेरिका ज़्यादा बेहतर टीम
है। लेकिन फ़ील्ड पर जो दिखा वो कुछ अलग था। एक कम्प्लीट टीम प्रदर्शन। ऐसा नहीं
है कि ‘मैन इन ब्लू’ कहीं भी अमेरिका पर
हावी होत दिखे, लेकिन जितने बार भी मौके आए, उसमें दिख गया कि इस टीम को सिर्फ इस
विश्व कप में खेलने तक ही सीमित नहीं रख सकते। इन्हें आने वाले दिनों में और
ज़्यादा समर्थन की ज़रूरत है।
भारतीय टीम ने कोई भी
गोल नहीं किया, लेकिन कई बार अमेरिका के फाइनल थर्ड में घुसकर गोल की कोशिश ज़रूर
की। गोल नहीं हुआ तो उसमें
इनके अनुभव की कमी, थोड़ा नर्वस मिजाज़ और ख़राब किस्मत ज़िम्मेदार हैं। कई मौकों
पर सिर्फ़ इसलिए गोल नहीं हो पाए, क्योंकि कम अनुभवी होने के कारण अमेरिका के ‘डी’ में सही फ़िनिशिंग नहीं
थी। लेकिन इसके बावजूद 1 ऐसा मौका था जब टीम की
किस्मत ने साथ नहीं दिया। कोमल की कॉर्नर किक पर कोई भी बॉल को टच नहीं कर पाया और
बॉक्स में सबसे पीछ खड़े अनवर अली के पास बॉल पहुंची, जिन्होंने थोड़ी जगह बनाकर
ज़ोरदार शॉट मारा। लेकिन बद्किस्मती से बॉल गोलपोस्ट से टकराकर अमेरिकी खिलाड़ियों
के पास चली गई और अमेरिका ने शानदार काउंटर अटैक के ज़रिए तीसरा गोल किया। इसके
अलावा भी 56वें मिनट में एक मौका था जब लेफ्ट विंग से तेज़ी से आए कोमल ने अमेरिका
के डिफेंडर और कीपर को चकमा दिया, लेकिन वो बॉल को लॉब करने के चक्कर में ज़्यादा
ऊंचा मार बैठे और बॉल पिच के पीछ बने ट्रैक्स पर पहुंच गई। इस लिहाज़ से टीम को
अपनी फिनिशंग पर बहुत काम करने की ज़रूरत है, क्योंकि बॉक्स तक तो पहुंचा जा सकता
है, लेकिन उसे कन्वर्ट न करना बहुत महंगा पड़ता है। यही टीम के साथ हुआ।
Well played @IndianFootball Boys. Disappointing result v #USAu17 in @FIFAcom. Dust yourself & prepare for the next crucial game v Columbia!— Nirmal Chettri (@nirmalchettri03) October 6, 2017
डिफेंडिंग में भारत को
कुछ दिक्कतें ज़रूर हुई और अमेरिका के विंगर्स और स्ट्राइकर ने कई बार तेज़ी
दिखाते हुए उनको पीछे छोड़ा। हालांकि इसके बावजूद कई शानदार क्लीयरेंस भी डिफेंस
लाइन ने किए। डिफेंस लाइन का सबसे शानदार पार्ट गोलपोस्ट पर धीरज सिंह थे। 3 गोल
ज़रूर पड़े लेकिन उसमें से कोई भी धीरज की ग़लती या ध्यान की कमी से नहीं हुए।
बल्कि धीरज ने कई दफ़ा बेहतरीन जंप और टैकल किए। आगे डाइव मारते हुए बॉल को पंच कर
क्लीयर करने वाला शॉट तो एक शानदार वॉल पेपर या बड़े बिलबोर्ड पर लगाया जा सकता
है।
Chin up boys you made us proud. A lot to learn from this game, looking forward for the next two games in the group stage #WeAreWithYou— Gurpreet Singh (@GurpreetGK) October 6, 2017
एक और एरिया जिस पर कोच
और टीम को बहुत काम करने की ज़रूरत है, वो है पासिंग। टीम की पासिंग ज़्यादातर
मौकों पर बहुत बिखरी हुई और ख़राब थी, जो अमेरिका पर दबाव बनाने के मौकों पर भारी
पड़ी। छोटे पास तो टीम के सही थे, लेकिन लंबे पास टीम के लिए बड़ी चिंता का विषय
हैं। दो-तीन मौकों पर ही टीम के लंबे पास सफल थे। ये हैरानी की बात है कि पहले हाफ
में ही ये साफ हो गया था उसके बावजूद सेकेंड हाफ में उसमें ख़ास तब्दीली नहीं की
गई। इसलिए बेहतर है कि टीम इस पर भरपूर काम करे मैच के दौरान ग़ैरज़रूरी लंबे पास
न करे।
टीम के स्टार
वैसे तो बतौर टीम ये
ओवरऑल एक उम्मीदों से बेहतर बहादुरी भरा प्रदर्शन था। लेकिन 2 खिलाड़ियों ने सबसे
ज़्यादा प्रभावित किया विंगर कोमल थताल और गोलकीपर धीरज सिंह ने। फील्ड पर मौजूद
नीली जर्सी पहने खिलाड़ियों में से एक कोमल सिर्फ अपने बालों के फैंसी कलर और
स्टाइल से ही नहीं अलग से दिखे, बल्कि अपनी ख़ूबसूरत ड्रिबलिंग और जादूई स्किल और
तेज़ी के कारण भी बाकी सबसे अलग दिखे। जितने बार भी कोमल के पास बॉल गई, हर बार
भारतीय दर्शकों की उम्मीदें बढ जाती और स्टेडियम में ज़ोरदार चीयरिंग होती। कोमल
ने बॉक्स में कई बेहतरीन मूव बनाए भी लेकिन फिनिशिंग की कमी के चलते गोल नहीं
मिले। लेकिन 90 मिनट में ये तो साफ हो गया कि भारत के पास एक छुपा सितारा है जो
भारतीय फुटबॉल के फलक पर चमकने को तैयार है।
गोल के सामने धीरज सिंह
किसी चट्टान की तरह ही खड़े थे। धीरज ने कहीं भी ये ज़ाहिर नहीं होने दिया कि ये
उनका पहला विश्व कप मैच है। मैच में धीरज ने हर वो तरीका अपनाया जो मॉडर्न गोलकीपर
अपनाते हैं। धीरज ने ‘स्वीपर कीपर’ के तौर पर बेहद शानदार सेव किए। अमेरिका के 3 गोल में
से एक भी गोल ऐसा नहीं था जिसमें धीरज ने कोई मौका दिया हो। धीरज के पंच और
स्ट्राइकर पर क्लीयरेंस कहीं भी उलझे हुए या मिस टाइम नहीं थे। हालांकि
डिस्ट्रीब्यूशन में और सुधार की जरूरत है और सही पोज़िशन में सही प्लेयर को पहचान
कर उसे पास करना ज़रूरी है।
इन दोनों के अलावा भी
मिडफील्ड में संजीव, कप्तान अमरजीत और डिफेंस में अनवर अली ने कुछ अच्छे मौके इस
मैच में दिखाए।
अब आगे टीम के सामने 2
मैच और हैं। 9 तारीख को कोलंबिया के ख़िलाफ़ और 12 को घाना के ख़िलाफ। कोलंबिया को
विश्वकप का अनुभव है। हालांकि कोलंबिया भी अपना पहला मैच घाना से हार चुका है। ऐसे
में ये भारतीय टीम के पास अच्छा मौका है कि वो, अव्वल तो एक जीत, नहीं तो ड्रॉ के
ज़रिए एक पॉइंट ले सकते हैं। क्योंकि भारत का आखिरी मैच घाना के साथ है जो कि
ग्रुप की सबसे मज़बूत टीम है। टीम सेकेंड राउंड में पहुंचेंगी, ऐसी उम्मीद करना
बेईमानी होगा। लेकिन बिना पॉइंट जीते टूर्नामेंट से बाहर निकलना ज़्यादा निराशाजनक
होगा। इसलिए कोलंबिया के ख़िलाफ टीम के पास उम्मीद भरा एक मौका है।
इसके बावजूद, पहले मैच
ने ये तो साबित कर दिया है कि ये टीम आसानी से हार नहीं मान सकती और बेहतर
ट्रेनिंग, मैच प्रैक्टिस और एक्सपोज़र के ज़रिए ये खिलाड़ी आने वाले वक्त की
भारतीय सीनियर टीम के मज़बूत स्तंभ साबित होंगे और भारत को सीनियर विश्व कप में ले
जाने की उम्मीदों को और मजबूती देंगे।
#BackTheBlue